الجمعة، 28 أكتوبر 2011

हज्ज की फज़ीलत


     

हज्ज की फज़ीलत

क्या हज्ज मबरूर बड़े गुनाहों को क्षमा कर देता है ?



हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।

सहीहैन (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम) में अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से साबित है कि उन्हों ने कहा कि मैं ने अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुना: "जिस व्यक्ति ने हज्ज किया और (उसके दौरान) संभोग (और कामुक वार्तालाप) तथा गुनाह और नाफरमानी (पाप एंव अवज्ञा) नहीं किया तो वह उस दिन के समान निर्दोष हो जाता है जिस दिन कि उसकी माँ ने उसे जना था।" सहीह बुखारी (हदीस संख्या: 1521) सहीह मुस्लिम (हदीस संख्या: 1350)

तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

"एक उम्रा से दूसरा उम्रा, उनके बीच के गुनाहों का कफ्फारा (परायश्चित) है, और मबरूर हज्ज का बदला जन्नत ही है।" इसे बुखारी (हदीस संख्या: 1773) और मुस्लिम (हदीस संख्या: 1349) ने रिवायत किया है।

अतः हज्ज और उसके अतिरिक्त अन्य नेक काम गुनाहों को मिटाने के कारणों में से हैं, यदि बंदा उन्हें उनके शरई तरीक़े के अनुसार अंजाम देता है। विद्वानों की बहुमत (जम्हूर उलमा) इस बात की ओर गयी है कि नेक कार्य (आमाले सालिहा) केवल छोटे गुनाहों को मिटाते हैं। जहाँ तक बड़े गुनाहों की बात है तो उनके लिए तौबा करना ज़रूरी है। उन्हों ने उस हदीस से दलील पकड़ी है जिसे मुस्लिम ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

"पाँच समय की नमाज़ें, एक जुमा से दूसरा जुमा और एक रमज़ान से दूसरा रमज़ान, उनके बीच होने वाले गुनाहों के लिए कफ्फारा हैं यदि बड़े गुनाहों से बचा जाये।" इसे मुस्लिम (1/209) ने रिवायत किया है।

जबकि इमाम इब्नुल मुंज़िर रहिमहुल्लाह और विद्वानों का एक समूह इस बात की तरफ गया है कि हज्ज मबरूर सभी गुनाहों को मिटा देता है, उन्हों ने उपर्युक्त दोनों हदीसों के प्रत्यक्ष अर्थ से दलील पकड़ी है।

और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।

देखिये: इफ्ता और वैज्ञानिक अनुसंधान की स्थायी समिति का फतावा (11/13).






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