الأربعاء، 17 أغسطس 2011

इस्लामी भाईचारा

इस्लामी भाईचारा
नस्लवाद दुनिया में सबसे बड़ी समस्याओं में से है जिसका मानवता सामना कर रही है, विकसित प्रौद्योगिकी मानव को चाँद पर पहुँचाने में सक्षम है, किंतु समुदायों के बीच नस्लवाद और नफरत के कारणों को रोकने में सक्षम नहीं है। जबकि इस्लाम ने अल्लाह के लिए भाईचारा और प्रेम के संबंधों को स्थापित करके 1400 वर्ष पूर्व ही इसको मिटाने में सक्षम रहा है, अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं: तुम में से कोई व्यक्ति उस समय तक वास्तविक मोमिन (विश्वासी) नहीं हो सकता जबतक कि वह अपने भाई के लिए वही चीज़ पसंद न करने लगे जो स्वयं अपने लिए पसंद करता है।  चुनाँचे इस हदीस के आधार पर बिलाल हबशी, सुहैब रूमी और सलमान फारसी ने अपनी अलग-अलग जातीयता के उपरांत अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आसपास भाईचारे का जीवन व्यतीत किया, और शायद हज्ज समानता, बराबरी, भाईचारा और सामंजस्य का सबसे बड़ा उदाहरण है जिसमें सभी नस्लों और देशों के लोग एकत्रित होते हैं।

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